Monday 13 June 2011

बारि‍श्‍ा की बूंद, ये सीधी-सादी बातें, और एक और कवि‍ता

रस्‍कि‍न बांड की कवि‍ताएं

बारि‍श्‍ा की बूंद
एक पत्ती, अपने आप में सम्पूर्ण होती है
जो कि पेड़ का एक हिस्सा भर है
और पेड़ अपने आप में सम्पूर्ण है
जो कि जंगल का एक हिस्सा भर है
और जंगल पर्वतों से समन्दर की ओर जाते हैं
और समन्दर अपने आप में सम्पूर्ण है
एक बारिश की बून्द की तरह विश्राम करता हुआ
ईश्वर के हाथ पर ।
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ये सीधी-सादी बातें
बहुत अच्छी होती हैं
जिन्दगी में सीधी-सादी बातें
एक हरा धब्बा
एक छोटी सी चिडि़या का घोंसला
ठंडा और ताजा पीने सा पानी
रोटी का स्वाद
बूढ़ापे का एक गीत
यही बातें जीवन में सर्वाधिक महत्व रखती हैं
एक बच्चे की हंसी
एक पसंदीदा किताब
जंगलीपने के साथ खिलता हुआ फूल
काले अंधेरे कोने में गाता हुआ झींगुर
एक बहुत ही ऊपर उचकती गेंद
बारिश की पहली फुहार
आकाश में इन्द्रधनुष
प्रेमपूर्ण हाथ का स्पर्श
और कोई भी समय हो
यही बातें जीवन में सर्वाधिक महत्व रखती हैं
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अगर चूहा दहाड़ सकता
और हाथी उड़ान भर सकता
और पेड़ आकाश के भीतर तक ऊंचे होते
अगर शेर खाना खाता,
एक बिस्कुट और एक पैग शराब
और मोटा सा आदमी उड़ सकता
अगर कंचे गीत गा सकते
और घंटियां नहीं बजती
और मास्टर साहब की नौकरी नहीं होती
अगर कछुआ दौड़ सकता
और हारा हुआ जीता जा सकता
और दबंगों को परांठे पर
मक्खन की तरह लगाया जा सके
अगर फुहारों से गीत निकले
अगर बंदूक से फूल निकले
यह दुनियां ज्यादा भली होती

12 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत मर्मस्पर्शी रचनायें..आभार

virendra sharma said...

सुन्दर ,मनोहर .आभार .

pragya said...

barish ki boond poem is sooooo sweet:)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

रस्किन बॉण्ड की रचनाओं का सुन्दर अनुवाद प्रस्तुत किया है आपने!

ZEAL said...

Great creations !..Beautiful translation .

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

khoobsoorat!!!!!!!!!

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

baarish ki boond sabse achhi lagi..

Shalini kaushik said...

sundar prastuti aabhar.

amrendra "amar" said...

very great, dil ko chu gayi

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

इन कालजयी रचनाओं को पढवाने का आभार।

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रहस्‍यम आग...
ब्‍लॉग-मैन पाबला जी...

virendra sharma said...

सुन्दर मनोभाव की रचनाएं जब भी पढो एक ताजगी एक तसल्ली और अनुवाद ,उससे तो ज़रा भी बोझिल नहीं है ये रचनाएं .

कुमार राधारमण said...

पहली रचना बेहद खूबसूरत है। पर दूसरी में तो सब उल्टा-पुल्टा कर दिया हुजूर!

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